अपनी कहानी को मैंने खुद किस्से में ढलते देखा है,
मुख्तसर सी जिंदगी में मैंने, खुदको कई बार मरते देखा है।
उसकी पसंद का बनके भी मुझे ठुकराते हुए देखा है,
मुख्तसर सी जिंदगी में मैंने, खुदको कई बार मरते देखा है।
उसका मेरा होकर भी किसी और का होते हुए देखा है,
मुख्तसर सी जिंदगी में मैंने, खुदको कई बार मरते देखा है।
हम दोनों के प्यार को मैंने सवाल बनते देखा है,
मुख्तसर सी जिंदगी में मैंने, खुदको कई बार मरते देखा है।
मैंने उसे अपने आपसे दूर जाते हुए भी देखा है,
मुख्तसर सी जिंदगी में मैंने, खुदको कई बार मरते देखा है।
उसकी मुहब्बत को सरेआम बदलते देखा है,
मुख्तसर सी जिंदगी में मैंने, खुदको कई बार मरते देखा है।